कविता:आजकल
यूंही चलते चलते,
बीत गए कुछ हसीन पल |
जो कल थे खयाब,
आज बन गए हमारी पहचान |
कल में था बल,
जो नही है आजकल |
जो था तब एहसास,
अब नही है आसपास |
जो कल नही था,वो थे ख्याब,
जो आज है ,उसमे छुपे है कई राज़ |
सब वक्त की मार है ये आज और कल,
जो थे हम कल ,नही है आज हम |
जो कल थे खयाब,
आज बन गए है पूरी किताब |
कलम भी वो ही,स्याही भी वो ही,
बस बदल गए है कुछ एहसास |
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